2009-06-21

'मिडिल क्लास का कोकटेल युग "


'इस इश्तेहारी जमाने में जब तक आप अपने कारनामो के पम्पलेट छपवा कर नहीं बाँटेंगे .आप पिछडो की जमात में शामिल रहेगे ..."वे किसी को कह रहे है...गोल्डन फ्रेम ओर फ्रेंच कट दाढ़ी में दूर से पहचाने जाते है ..मुझे देख बगल वाली कुर्सी में बैठने का इशारा करते है .......बकोल उनके इस फ्रेंच कट से उनकी पर्सनेल्टी में सीरियसनेस का टच आया है .. बचपन से ही उनमे हर इंसान में छिपे संभावनाओं के दरवाजे देखने की इनोवेटिव प्रतिभा है.ऐसे कई सही दरवाजे सही वक़्त पे खटखटा के आज वे यहाँ पहुंचे है …उनकी क्वालिफिकेशन तो हमें ठीक ठाक नहीं पता पर हाँ इन दिनों एजुकेशन इंडस्ट्री में उन्होंने मखसूस जगह बनायीं है ,उम्र से मुझसे पंद्रह साल बढे है....पर बिना 'डॉ -साहब 'लगाये बात नहीं करते है .इन दिनों एक डोनेशन वाले कॉलेज में डायरेक्टर के पद पर है .....भीड़ में ..कई जाने पहचाने चेहरे है ..मंत्रो के उच्चारण के बीच तेरहवी की रस्म जारी है ...जोशी जी धोती पहनकर पंडित जी के साथ बैठे है...ऊपर कंधे पे सफ़ेद चादर .....पीछे सफ़ेद शामियाने पे उनके पिता की तस्वीर लटकी है ....एक ओर खाने का इंतजाम है ..कोई साहब लगातार दौड़ भाग कर रहे है.....सभी इंतजामात देखते..नंगे पैर सफ़ेद कुरते पजामे में .हाथ में काला मोबाइल ..उन्हें देख डायरेक्टर साहब कुछ बुदबुदाये है ...जिसका कुछ अपरिहार्य कारणों से मूल अनुवाद नहीं दे सकता .लिप मूवमेन्ट से अलबत्ता आप आईडिया लगा सकते है.....फिर वे फ्री होकर मुझसे मुखातिब हुए है ...बताते है बड़े जोशी का इंतज़ार है ..अमेरिका से आ रहे है ..एयरपोर्ट से निकले ढाई घंटा हो चूका है .फिलहाल रास्ते में कही है अब पहुंचे की तब पहुंचे .... एक ओर महिला है ....गहरी लिपस्टिक ओर डिजायनर सफ़ेद साडी में लिपटी आकर्षक देह यष्टि से पूरे माहोल को थ्री -डी इफेक्ट दे रही है ... सबसे छोटे जोशी छोटा मोटा बिसनेस सँभालते है ..... इसलिए सामने होते हुए भी कही बेकग्राउंड में है...
डायरेक्टर साहब मेरे कान में बुदबुदा रहे है . 'हर बाप अपने प्रतिभाहीन बेटे को सेट कराने की जुगाड़ में है ...कई भौंडे संस्करण मार्केट में उतरने को तैयार है.. ...अब जमाना इनपुट और आउट -पुट का है ....जितना डालोगे उतना मिलेगा ..मंत्रो के उच्चारण में मुझे फिजिक्स के टीचर भोपाल सिंह याद आते है .....वे कहते थे .." मिडिल क्लास लोगो के लिए दिमाग की एकमात्र सम्पदा है..'….अच्छी जिंदगी हासिल करना चाहते हो तो मेहनत करो…...मोर्डन वक़्त के व्यापारीकरण ने उनके इस फंडे को आउट डेटेड कर दिया है .... .अब लगता है मिडिल क्लास केवल अमेरिकी बेस्ट सेलर लिखने के लिए रह गयी है
… इतने में डॉ अवस्थी नजदीक आकर बैठ गये है ...डायरेक्टर साहब के मुंह में मुंह डालकर कुछ बतिया रहे है ... पिछले साल हार्ट ट्रबुल होने के बाद से प्रेक्टिस में कम टाइम देते है .सुबह केवल दस मरीज ही देखते है.....इसलिए फीस बढा दी है .बड़ा बेटा साउथ के किसी मेडिकल कॉलेज से आकर पहले ही कुनबे का गौरव बढा रहा है .फिलहाल यहाँ छोटे की पी. जी डील तय हो रही है.....उन्हें थोडा ओर स्पेस देने के लिए मै कुर्सी थोडा एक ओर खींच लेता हूँ.......अचानक चहल पहल बढ़ गयी है .....काले मोबाइल वाले जैसे रास्ता बना रहे है ....बड़े जोशी जी ने सपत्नीक एंट्री ली है.....
.पीछे बिसलेरी के बोतल पकडे दो बच्चे .....देवरानी -जिठानी का खामोशी से मिलन द्रश्य है.....हमें ननिहाल का गाँव याद आता है .ऐसे अवसरों पे दरवाजे से रोने की आवाज शुरू होती थी....फिर सामूहिक रुदन की फ्रीक्वेंसी अचानक बढती थी......दो चार मिनट बजकर एडजस्ट हो जाती थी...ऐसे कई रुदन ओर फ्रीक्वेंसी की सेटिंग आगंतुको की घर में इम्पोर्टेंस बताती थी........अगले आधे घंटे में सभी काम तुंरत फुरंत होते है.....बड़े जोशी जी की सुना है शाम को दिल्ली में कोई इम्पोटेंट मीटिंग है ......
जोशी भाइयो से भी हाथ जोड़कर विदा लेता हूँ ...डॉ अवस्थी अभी भी डायरेक्टर साहब के मुंह में घुसे हुए है ...मै दूर से ही उन्हें नमस्कार कर ...बाहर गाडियों की लम्बी कतार ने सड़क के ट्रेफिक को भी डिस्टर्ब कर रखा है .....गाडी बेक करता हूँ तो काले मोबाइल वाले साहब इशारा कर रहे है ....उन्हें बिठाता हूँ ..बताते है उनकी गाडी रास्ते में ही पंक्चर हो गयी थी ..... सोच रहा हूँ जोशी जी के कोई खास रिश्तेदार मालूम पड़ते है ...उस एक घंटे में काफी भाग दौड़ की है...इन्होने ...'बस -बस "वे एक जगह रुकने को कहते है ...स्टेपनी भी चेक करनी होगी .वो क्या है कि ..आजकल ईमानदारी बड़ी रेयर चीज है .....वे मुस्कराते हुए कहते है.....उतारते हुए वे शुक्रिया अदा करते है ....
कभी जरुरत हो हमें याद कीजियेगा डॉ साहब....वे कार्ड पकडा देते है .... तनेजा इवेंट ओर्गानाज़र ....कार्ड के ऊपर दाहिनी ओर शेरा वाली माता की तस्वीर बनी हुई है....



कहते है वक़्त अब बदल गया है , सारी मिडिल क्लास लड़किया अब सन्डे को राजमा मसाला छौंक कर बालो में मेहंदी लगाकर रविवारी संस्करण के मेट्रोमोनियल एड के पन्नो में सुन्द र सुशील गोरी ओर गृहकार्यो में दक्ष जैसो में अपनी प्रोफाइल सेट करके नहीं देखती …अब …शादी डॉट .कॉम ओर .जीवन साथी डॉट कॉम के एक क्लिक ने उनकी पहुँच बढा दी है .कोकटेल युग में जीने के फायदे भी है



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